ग्रेटर नोएडा। वन्य जीवों को संरक्षित करने के लिए जेवर एयरपोर्ट के पास वन्य जीव संरक्षण केंद्र बनाया जाएगा । जेवर एयरपोर्ट बनाए जाने की घोषणा के बाद से ही इसको बनाने की तैयारी शुरू हो गई । जिसको वन विभाग और यमुना प्राधिकरण मिलकर बनायेगे। इसको लेकर यमुना प्राधिकरण जमीन भी उपलब्ध करा चुका है और बजट भी दे चुका है लेकिन वन विभाग की तरफ से इस मामले में लगातार देरी हो रही है, वहीं एयरपोर्ट बनाने वाली ज्यूरिक कंपनी जल्द से जल्द एनिमल रेस्क्यू सेंटर बनाने की मांग कर रही है।
यमुना प्राधिकरण के सीईओ अरुनवीर सिंह ने बताया कि जेवर में जो अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बन रहा है। उसके आसपास वन्य जीवों को संरक्षित करने के लिए एक वन्य जीव संरक्षण केंद्र बनाना है ।इसको लेकर डब्ल्यूईई ने एक स्टडी की थी, उसी की स्टडी पर एनिमल रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना बनी, क्योंकि यहां पर ब्लैक बॉक्स,सारस भी हैं, इन सभी को संरक्षित करना काफी जरूरी है ,क्योंकि अगर इनको संरक्षित नहीं किया गया तो यह विलुप्त भी हो सकते हैं। अगर कभी गलती से ये एयरपोर्ट की बाउंड्री में या रनवे के आसपास आ जाए तो तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इसलिए एयरपोर्ट के पास रेस्क्यू सेंटर होना बहुत जरूरी है।
उन्होंने बताया कि इसको लेकर 10 हेक्टेयर जमीन की जरूरत थी। शासन के निर्देश पर पांच हेक्टेयर जमीन यमुना प्राधिकरण को देनी थी और 5 हेक्टेयर जमीन वन विभाग को देनी थी । यमुना प्राधिकरण ने सितंबर 2023 में 5 हेक्टेयर जमीन दे दी। यमुना प्राधिकरण के द्वारा 5 करोड़ से ज्यादा रुपया भी वन विभाग को दे दिया गया। वही धनोरी वेटलैंड में साफ सफाई के लिए भी पैसा दिया गया।
अरुणवीर सिंह ने बताया कि जमीन और पैसा देने के बाद भी अभी तक वहां पर कोई कार्य शुरू नहीं हो पाया है। ज्यूरिख कंपनी के द्वारा बार-बार यमुना प्राधिकरण को चिट्ठी लिखी जा रही है और कहा जा रहा है कि एयरपोर्ट बनने जा रहा है लेकिन अभी तक एनिमल रेस्क्यू सेंटर नहीं बनाया गया है । इसकी वजह से एयरपोर्ट के संचालन में मुश्कील आ सकती और परेशानी होगी।
इस मामले में डीएफओ को भी कई बार कहा गया है लेकिन उनका कहना है कि वह यह प्रस्ताव शासन को भेज चुके हैं लेकिन शासन के स्तर पर मामले में देरी हो रही है। इस मामले में पैसा भी पूरा दिया जा चुका है और जमीन भी उपलब्ध कराई जा चुकी है।
अरुनवीर सिंह ने कहा कि इस मामले में देरी को लेकर सोमवार को शासन स्तर पर बैठक की जाएगी। और इस दौरान अनुरोध किया जाएगा की इसे बनाने का जमा जमुना प्राधिकरण को दिया जाए।