ग्रेटर नोएडा । युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की इकाई नेहरू युवा केंद्र गाजियाबाद एवं गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित 16वें जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ और ओडिशा के आदिवासी बहुल जिलों – बस्तर, बीजापुर, कांकेर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़, सुकमा और कालाहांडी से आए 120 प्रतिभागियों को बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का प्रेरणादायक भ्रमण कराया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी युवाओं को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आधुनिक विकास, तकनीकी नवाचार और राष्ट्रीय एकता के महत्व से परिचित कराना है, जिससे वे अपने क्षेत्रों में लौटकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।
इस दौरान युवाओं ने लाल किला, इंडिया गेट और प्रधानमंत्री संग्रहालय का दौरा किया, जहां उन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम, राष्ट्र-निर्माण और आधुनिक विकास की गाथा को करीब से देखा। प्रधानमंत्री संग्रहालय में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों की योगदान गाथा और डिजिटल तकनीकों के माध्यम से भविष्य की दिशा को समझने का अवसर मिला।
इंडिया गेट पर उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिससे उनमें राष्ट्रभक्ति की भावना और प्रबल हुई।
दिल्ली भ्रमण के दौरान पहली बार दिल्ली मेट्रो में सफर करना भी उनके लिए एक नया और रोमांचक अनुभव रहा। तेज गति, स्वच्छता, अनुशासन और तकनीकी उन्नति से सुसज्जित मेट्रो यात्रा ने उन्हें यह अहसास कराया कि भारत अब एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है।
इस अनुभव से प्रभावित युवाओं ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह यात्रा उनके जीवन की सबसे अनमोल सीखों में से एक है। एक प्रतिभागी ने कहा, “हमने भारत की महान विरासत और भविष्य की संभावनाओं को पहली बार इतने करीब से देखा। यह हमारे लिए सिर्फ एक भ्रमण नहीं, बल्कि एक नई दिशा दिखाने वाला अनुभव है।”
इस कार्यक्रम का आयोजन नेहरू युवा केंद्र संगठन, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय निदेशक महेंद्र सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में गौतमबुद्धनगर की जिला युवा अधिकारी स्निग्धा सिंह, बागपत के उपनिदेशक अरुण कुमार तिवारी, गाजियाबाद के उपनिदेशक देवेंद्र सिंह और बुलंदशहर के जिला युवा अधिकारी आकर्ष दीक्षित द्वारा किया जा रहा है अधिकारियों ने युवाओं को संबोधित करते हुए राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका, आत्मनिर्भर भारत, पंच प्रण, और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्पों पर चर्चा की। उन्होंने युवाओं से अपने क्षेत्र में सीखी गई बातों को साझा करने और समुदाय को जागरूक करने की अपील की।
यह कार्यक्रम केवल एक भ्रमण तक सीमित नहीं था, बल्कि एक नए भारत की सोच से युवाओं को जोड़ने की महत्वपूर्ण पहल थी। इस यात्रा से युवाओं ने यह समझा कि उनका भविष्य केवल परंपराओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वे नवाचार, शिक्षा और तकनीकी विकास के माध्यम से अपनी और अपने समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम केवल सांस्कृतिक मेलजोल का मंच नहीं, बल्कि ‘विकसित भारत @2047’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक सशक्त कदम है, जो आदिवासी युवाओं को सशक्त, आत्मनिर्भर और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदार बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। इस दौरान स्वयंसेवकों में अमन कुमार, प्रकाश तिवारी, तालिब सहित अन्य का योगदान रहा।