ग्रेटर नोएडा। ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज एंड रिसर्च में दवा वितरण और ऊतक इंजीनियरिंग के लिए बायो नैनोमेटेरियल्स का विकास और लक्षण वर्णन पर सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। भारत के विभिन्न हिस्सों से छात्रों ने भाग लिया है, जिसमें आईआईटी,एनआईपीईआर, आईवीआरआई, जेएनयू और डीपीएसआरयू जैसे प्रसिद्ध संस्थानों के प्रतिष्ठित संकाय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।
शारदा स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज एंड रिसर्च के डीन श्यामल कुमार बनर्जी ने कहा कि ऊतक इंजीनियरिंग और पुनर्योजी चिकित्सा काफी हद तक विनिमेय हो गए हैं, क्योंकि यह क्षेत्र जटिल, अक्सर पुरानी बीमारियों के इलाज के बजाय इलाज पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद करता है। यह क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है।ऊतक वे संबंधित कोशिकाएं हैं जो एक-दूसरे से जुड़ी रहती हैं। ऊतक की कोशिकाएं समान नहीं होती, लेकिन वे किसी विशिष्ट क्रियाओं को करने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करती हैं। उदाहरण के लिए, मांसपेशी ऊतक में मांसपेशी कोशिकाएं होती हैं, जो मांसपेशी को हिलाने-डुलाने के लिए संकुचित होती हैं। जिसका उद्देश्य दवा वितरण और ऊतक इंजीनियरिंग के लिए बायोमैटेरियल के विकास और उपयोग के बारे में प्रतिभागियों की समझ को बढ़ाना है।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पीयूष कुमार गुप्ता ने बताया कि कार्यशाला में भाग लेने के लिए देश भर से 25 स्नातकोत्तर और पीएचडी छात्रों का चयन किया गया था। उन्होंने एक्सीलरेट विज्ञान योजना के तहत इस कार्यक्रम को प्रायोजित करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बायो नैनोमेटेरियल्स जीव विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक प्रतिच्छेदन का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो चिकित्सा उपचार और ऊतक पुनर्जनन में अभूतपूर्व प्रगति का वादा करते हैं। इन सामग्रियों का विकास और सटीक लक्षण वर्णन नवीन समाधान बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं जो आज चिकित्सा में सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों में से कुछ का समाधान कर सकते हैं।