ग्रेटर नोएडा ( आमिर ख़ान, ग्रेनो एक्सप्रेस, संवाददाता ) । ग्रेटर नोएडा की दादरी थाना पुलिस ने फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड व लोन करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस दौरान दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह में एक महिला बैंक मैनेजर भी शामिल है, जो भी फरार चल रही है ।पुलिस उसकी भी तलाश कर रही है। यह अब तक 15 से 20 करोड रुपए की ठगी की घटना को अंजाम दे चुके हैं।
ग्रेटर नोएडा की दादरी पुलिस ने 7 अक्टूबर को अमित राठौर नाम के युवक की हत्या का खुलासा किया था। इस दौरान पता चला कि उसके ही कुछ साथियों ने डेढ़ करोड़ के बाद के चलते उसकी हत्या कर दी थी। इस दौरान पुलिस को पता चला कि यह लोग मिलकर एक गैंग चार रहे थे और एक कंपनी बना कर उनके द्वारा फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड वे लोन करने का गौरव धंधा चलाया जा रहा था ।आज पुलिस ने पूरे गिरोह का खुलासा किया है और इस दौरान इस गिरोह के दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है।दादरी पुलिस ने इस दौरान गोविंद व विशाल को गिरफ्तार किया।इस गिरोह में एक महिला भी शामिल है जो एक निजी बैंक में दिल्ली में मैनेजर है ,फिलहाल वह फरार चल रही है।
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 206 डेबिट और क्रेडिट कार्ड, 58 पासबुक, 40 आधार कार्ड, 40 पैन कार्ड, 70 चेक बुक, 6 स्वाइप मशीन, 30 मोबाइल फोन व उसके अलावा दो कीपैड मोबाइल फोन और उसके साथ एक टाटा हैरियर गाड़ी भी बरामद की है।
डीसीपी साद मिया खान ने बताया कि मृतक अमित ,रामानन्द उर्फ रमेश ,सचिन तंवर ,अनुज यादव ,हिमांशु ,ओमप्रकाश ,गोविंद व विशाल व उसकी पत्नी नेहा जो एक बैंक में मैनेजर है।यह सब लोग एक कंपनी बनाकर फर्जी तरिके से लोन दिलाने का काम करते थे।
इन लोगो ने पूछताछ में बताया कि हम आधार कार्ड में रेंट एग्रीमेंट के आधार पर फर्जी तरीके से नाम पता एवं मोबाइल नंबर बदलकर कंपनी मेफ़र्स फैशन प्राइवेट लिमिटेड की पे स्लिप के आधार पर बैंक में खाता खुलवाते थे तथा उसमें 6 से 9 महीने तक सैलरी के नाम पर एक मोटी रकम ट्रांसफर कर देते थे। जिस व्यक्ति के नाम पर लोन कराया जाता था उसके नाम पर एक नया मोबाइल सिम भी खरीदा जाता था, जो बैंक में अपडेट कर दिया जाता था। मोबाइल व सिम भी यह लोग अपने पास रखते थे। सिविल स्कोर बढ़ाकर पे स्लिप के आधार पर यह लोग बैंक से 40 से 50 लाख का लोन व दो-तीन लाख रुपए की लिमिट का क्रेडिट कार्ड जारी करवा लेते थे। क्रेडिट कार्ड व बैंक खाते में आए लोन के रुपयों का एक्सेस खुद रखते थे और जिस व्यक्ति के नाम पर क्रेडिट कार्ड एवं लोन जारी होता था, उसे 40 से 50 हजार रुपये व किसी को 1 लाख तक भी दे देते थे तथा शेष राशि का यह खुद उपयोग करते थे।
उन्होंने आगे बताया कि यह लोग लोन और क्रेडिट कार्ड की दो-तीन ईएमआई जमा करते थे उसके बाद एड्रेस चेंज कर देते थे दो-तीन महीने बाद जब ईएमआई जमा नहीं होती थी तो बैंक वाले जब दिए गए पत्ते पर संपर्क करते थे तो एड्रेस फर्जी होने के कारण वहां पर उन्हें कोई नहीं मिलता था और मोबाइल नंबर पर भी संपर्क नहीं होता था लोन करने पर जो रुपए बचते थे उसे मृतक अमित कुमार इन सब लोगों में उनके काम के हिसाब से बांट देता था एक व्यक्ति का लोन पास होने पर इन लोगों को कमीशन के नाम पर लगभग 4 से 5 लख रुपए मिलते थे।
गौरतलब है कि 6 अक्टूबर को पैसे के लेनदेन को लेकर ही अमित की उसके दोस्तों के द्वारा हत्या कर दी गई थी पुलिस इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है इस हत्याकांड के बाद इस पूरे घरों का खुलासा हुआ है पुलिस ने आज दुआ रूपों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है अभी इस मामले में एक महिला बैंक मैनेजर फरार चल रही है वहीं हत्या के मामले में एक और आरोपी फरार चल रहा है जिनकी पुलिस तलाश कर रही है