ग्रेटर नोएडा। इलेक्ट्रॉनिक व्हिकल की बैटरी में एक सेल की खराबी से पूरी यूनिट खराब होने लगती है। ऐसे में एक झटके में हजारों रुपये का नुकसान होता है। लंबे रिसर्च के बाद ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के बीटेक तृतीय वर्ष के चार छात्रों की टीम ने तकनीक ईजाद कर समस्या को हल किया और उन्हें केंद्र सरकार की संस्था स्मार्ट इंडिया सीड फंड की तरफ से अपने डिवाइस यूजर रिपेयरेबल बैटरी पैक को अपग्रेड करने के दोबारा 9 लाख रुपये का ग्रांट मिला है। इससे पहले सरकार की तरफ से 6 लाख रुपये का फंड मिला चुका है।
इस तकनीक में खराब सेल की पहचान आसानी से हो जाती है। सेल को बदल पूरी बैटरी को खराब होने से बचाया जा सकता है। छात्रों ने इस आइडिया को पेटेंट भी करा लिया है। छात्रों को छह लाख रुपये ग्रांट मिल चुकी पहले टीम में सौरभ, अंकित शर्मा व दिया शामिल थे । अब टीम में सौरभ और दिया रह गए हैं।
छात्रों ने बताया समस्या को हल करने के लिए स्प्रिंग कांटेक्ट बेस्ड तकनीक ईजाद की गई है। इसमें विशेष बाक्स बनाया गया है। सेल की स्पाट वेल्डिंग नहीं होती बल्कि स्प्रिंग की सहायता से सेल एक-दूसरे से कनेक्ट होते हैं। हर सेल की यूनिक नंबरिंग होती है।
वाहन में कैनवास सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है। वाहन के डैशबोर्ड पर एक इंडिकेटर लगा होता है। सॉफ्टवेयर की मदद से बैटरी के किसी सेल में आई खराबी की सूचना इंडिकेटर पर मिलती है और खराब सेल का यूनिक नंबर भी प्रदर्शित होता है। बैटरी को खोलकर सेल को बदला जा सकता है।
एक सेल की कीमत आमतौर पर तीन से पांच सौ रुपये तक होती है। ऐसे में पूरी बैटरी को खराब होने से बच जाती है।
विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉ परमानंद ने कहा कि दुनिया का रुझान इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ बढ़ रहा है। बैटरी में एक सेल की खराबी से पूरी यूनिट खराब हो जाती है। छात्रों ने बड़ी समस्या का हल निकाला है। आने वाले समय में इससे आम लोगों को फायदा