केंद्र सरकार ने देशभर में स्कूली छात्राओं को निशुल्क सैनिटरी नैपकिन वितरण के लिए राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार कर लिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। साथ ही बताया कि इसे संबंधित भागीदारों को भेजा गया है, उनकी टिप्पणियां मंगवाई जा रही हैं।
एक याचिका की सुनवाई में सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन मुहैया करवाने के लिए बनी नीति के बारे में केंद्र से सवाल किया था। साथ ही इनके वितरण की प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए भी कहा था। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सदस्यता वाली बेंच के समक्ष केंद्र सरकार ने अपना जवाब रखा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों को चेताया था, जिन्होंने छात्राओं के लिए माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय मॉडल बनाने की केंद्र की योजना पर अपने जवाब नहीं रखे थे। जवाब न देने पर उन्हें सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी।
कोर्ट ने 10 अप्रैल को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त करते हुए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित आंकड़े मंगवाए थे, ताकि केंद्र सेनेटरी नैपकिन वितरण पर राष्ट्रीय नीति बना सके।
छात्राओं की संख्या के अनुरूप शौचालय के लिए तैयार करें राष्ट्रीय मॉडल
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में छात्राओं की संख्या के अनुरूप स्कूलों में शौचालय उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार को कहा है। इसके लिए उसे एक राष्ट्रीय मॉडल बनाने को कहा गया है। यह शौचालय सरकारी अनुदानित और रिहायशी स्कूलों में बनाए जाने हैं।
गंभीर बाधाओं का दिया गया था तर्क कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर ने याचिका दायर कर बताया था कि गरीब परिवारों से आने वालीं 11 से 18 साल की स्कूली छात्राओं को शिक्षा पाने में गंभीर बाधाएं आ रही हैं। याचिका में कहा गया था, अक्सर उन्हें अपने माता-पिता से माहवारी स्वच्छता व पीरियड्स के बारे में सही जानकारियां नहीं मिल पाती। उनकी सेहत को इससे नुकसान होता है, पढ़ाई जारी रखना भी मुश्किल हो जाता है।