ग्रेटर नोएडा। गलगोटियास विश्वविद्यालय ने 5 और 6 सितंबर 2024 को स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच) 2024 प्री-क्वालिफायर संस्करण का आयोजन करते हुए अपने छात्रों की नवाचार की भावना का जश्न मनाया। सरकारी समर्थन और नीतिगत प्रोत्साहन: SIH को भारत सरकार का पूरा समर्थन मिलता है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों और उच्च अधिकारियों की भागीदारी रहती है। यह हैकाथॉन “डिजिटल इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे राष्ट्रीय मिशनों के उद्देश्यों को बढ़ावा देता है। जो कि अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है।
गलगोटियास विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया जी ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम विश्वविद्यालय की तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह छात्रों को एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी तकनीकी और रचनात्मक क्षमता का प्रदर्शन कर सकते हैं। साथ ही, IITs, NITs जैसे शीर्ष संस्थानों की भागीदारी इसे और भी प्रतिष्ठित बनाती है।
माननीय सीईओ डॉ. ध्रुव गलगोटिया जी के दृष्टिकोण के अनुरूप है। डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह नवाचार को प्रोत्साहित करता है और छात्रों के सपनों को साकार करने में मदद करता है।
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन छात्रों को सृजनात्मक और तकनीकी कौशल विकसित करने, वास्तविक समस्याओं को हल करने, और भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करता है। SIH के माध्यम से छात्रों को सरकारी मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों और निजी कंपनियों द्वारा प्रस्तुत वास्तविक जीवन की समस्याओं का समाधान करने का मौका मिलता है। ये समस्याएं कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्मार्ट सिटी, परिवहन, और रक्षा तकनीक जैसे क्षेत्रों से संबंधित होती हैं। इससे छात्र व्यावहारिक और स्थायी समाधान विकसित करने में सक्षम होते हैं।
इस दो दिवसीय हैकाथॉन के आयोजन में विद्यार्थियों की कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग, मेडिकल साइंसेज और एग्रीकल्चर जैसे विभिन्न क्षेत्रों की 180 टीमों ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का समाधान किया। तीन चरणों की मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद, अंतिम दौर में शीर्ष 30 टीमों ने अपने समाधान प्रस्तुत किए। 42 विशेषज्ञों के एक पैनल, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट के श्री कमल रावत और एचसीएल के श्री पवन कुमार दुबे जैसे उद्योग पेशेवर शामिल थे, ने निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित की।
प्रमुख आयोजकों में डॉ. मीनाक्षी शर्मा, डॉ. श्रद्धा सागर, और डॉ. अमृता त्यागी शामिल थे, जिनका समर्थन कुलपति डॉ. मल्लिका अर्जुना बाबू और अन्य विश्वविद्यालय नेताओं ने किया। 100 से अधिक स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम की सफलता में योगदान दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों में सृजनशीलता और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।