सहारा ग्रुप के सुब्रत रॉय का आज अंतिम संस्कार हो गया है, लेकिन उनके दोनों में एक भी बेटा अंत्येष्टि में शामिल नहीं हो पाया है. उनके पोते ने उन्हें मुखाग्रि दी है. सहाराश्री के 16 साल के पोते हिमांक रॉय के हाथों मुखाग्रि दी गई. लखनऊ के भैंसाकुंड में उनका अंतिम संस्कार किया गया है. इस दौरान कई बड़े नेता समेत हजारों लोग उनकी शव यात्रा में मौजूद रहे. आपको बताते हैं कि आखिर उनके दोनों में से एक भी बेटा मुखाग्नि क्यों नहीं दे पाया-
सुशांतो और सीमांतो रॉय क्यों अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे थे. इस पर कई लोग सवाल भी पूछ रहे थे. सुब्रत की पत्नी स्वप्ना रॉय और दोनो बेटे सीमांतो और सुशांतो मेसेडोनिया में रहते हैं. सेबी समेत कई वित्तीय कंपनियों की नजर उनके बेटों पर है, जिसकी वजह से वह दोनों ही भारत नहीं आए हैं. फिलहाल सुब्रत के दोनों ही बेटों के पास में मेसेडोनिया की नागरिकता है.
लंदन में पढ़ाई कर रहे हैं हिमांक
इसके बाद में उनकी पत्नी ने कहा है कि इसी वजह से उन्होंने अपने पोते हिमांक को लंदन से मुखाग्नि के लिए बुलाया गया. हिमांक रॉय सुब्रत के छोटे बेटे सीमांतो के बड़े बेटे हैं और लंदन में पढ़ाई कर रहे हैं.
मंगलवार को हुआ था निधन
सुब्रत का मुंबई के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में मंगलवार को निधन हुआ. वह 75 साल के थे. सुब्रत काफी समय से बीमार चल रहे थे. सहारा इंडिया की ओर से जारी बयान में बताया गया कि सुब्रत रॉय मेटास्टेटिक स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसे बीमारियों से जूझ रहे थे. माना जा रहा है कि सहाराश्री के निधन के बाद कारोबार उनके दोनों बेटे ही संभालेंगे.
कौन थे सुब्रत रॉय?
सहारा ग्रुप के फाउंडर सुब्रत रॉय सहारा का जन्म 10 जून 1948 को बिहार में हुआ था. 1978 में सुब्रत रॉय ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचने का काम शुरू किया था. अपने सफर को ऐसे शुरू कर उन्होंने भारत के प्रमुख कारोबारी बनने तक का सफर तय किया. चाय-बिस्कट बेचने के बाद उन्होंने चिटफंड कंपनी शुरू की. इसके बाद पैरा बैंकिंग में भी हाथ आजमाया. उन्हें देशभर में ‘सहाराश्री’ के नाम से भी जाना जाता था.