चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को जनता सीधे नहीं चुनती, यह कोई कमजोरी नहीं है बल्कि न्यायपालिका की एक ताकत है. यही कारण है कि फैसला देते वक्त न्यायपालिका, विधायिका या कार्यपालिका की तरह जनता के प्रति सीधे जवाबदेह नहीं होती है बल्कि संविधान के प्रति उत्तरदायी होती हैं. संवैधानिक मूल्यों का पालन करते हैं.
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं और इसकी भी एक वजह है. राज्य की निर्वाचित शाखा और कार्यपालिका महत्वपूर्ण है, जो जनता के प्रति सीधे जवाबदेह हैं. विधायिका संसद के प्रति जवाबदेह है. एक न्यायाधीश और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर मैं इसका पूरी तरह सम्मान करता हूं, लेकिन जजों की भूमिका को भी पहचानना उतना ही महत्वपूर्ण है.
फैसले को सिर्फ इसलिये खारिज नहीं कर सकते…
हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2023 (Hindustan Times Leadership summit 2023) में चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले को विधायिका द्वारा सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह फैसला गलत है.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायिका उच्चतम न्यायालय के किसी फैसले को सिर्फ इसलिए नहीं पलट सकती, क्योंकि उन्हें वह फैसला गलत लगता है. हां, अगर न्यायालय ने किसी कानून की एक निश्चित तरीके से व्याख्या की है तो उस दोष को ठीक करने का विकल्प विधायिका के पास हमेशा खुला है, लेकिन किसी फैसले को सीधे खारिज करना पूरी तरह अस्वीकार्य है.
जजों के रिटायरमेंट पर क्या बोले?
जजों के रिटायरमेंट का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि एक निश्चित आयु के बाद न्यायाधीशों को सेवानिवृत होना चाहिए. उन पर हमेशा के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं थोपी जा सकती है. नई पीढ़ी को भी जिम्मेदारी मिलनी चाहिए, ताकि वह समाज के विकास के लिए काम कर सकें. नई पीढ़ी के पास नया नजरिया और नई सोच है.