सुप्रीम कोर्ट ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के अतिरिक्त मुख्य सचिव से पंजाब के मामले में उसके हालिया फैसले को ध्यान से पढ़ने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ ऐसी ही शिकायत पर स्पष्ट कहा था कि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों को लटकाकर कानून निर्माण की सामान्य प्रक्रिया को विफल नहीं कर सकते। केरल सरकार ने खान पर उसके पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाया है।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा, पंजाब के मामले में हमारा आदेश बीती रात साइट पर अपलोड हुआ है। केरल राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव को उसे पढ़ने के लिए कहिये। केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा,सभी मंत्री उनसे (राज्यपाल) मिले हैं। मुख्यमंत्री उनसे कई बार मिल चुके हैं। आठ विधेयकों पर सहमति लंबित है। इस मामले में अब 28 नवंबर को सुनवाई होगी।
पंजाब मामले में यह दिया आदेश
शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनाए आदेश में कहा था, राज्यपाल बिना किसी कार्रवाई के विधेयकों को अनिश्चित काल तक लंबित रखने के लिए स्वतंत्र नहीं हो सकते। अगर राज्यपाल किसी विधेयक पर सहमति रोकने का फैसला करते हैं, तो उन्हें विधेयक को पुनर्विचार के लिए विधायिका को वापस करना होगा। अदालत ने यह भी कहा था कि अनिर्वाचित ‘राज्य के प्रमुख’ को सांविधानिक शक्तियां सौंपी गई हैं, लेकिन इसका उपयोग राज्य विधानसभाओं की ओर से कानून बनाने की सामान्य प्रक्रिया को विफल करने के लिए नहीं किया जा सकता है।