उत्तरप्रदेश के बदायूं में एसडीएम सदन राज्यपाल के नाम समन जारी कर उन्हें हाजिर होने का आदेश दिया था। आदेश की प्रति जब राजभवन पहुंची तो हड़कंप मच गया। मामले में राज्यपाल के विशेष सचिव ने डीएम को पत्र भेजकर संविधान के अनुच्छेद 361 का उल्लंघन बताया। इसके बाद सरकार ने एसडीएम को निलंबित कर दिया और डीएम ने पेशकार को सस्पेंड कर दिया।
जानकारी के अनुसार बदायूं की सदर तहसील के एसडीएम ने न्यायिक कोर्ट में विधि व्यवस्थाओं को नजर अंदाज कर राज्यपाल के नाम का समन जारी कर दिया। इसके बाद राज्यपाल के विशेष सचिव ने बदायूं जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर संविधान के अनुच्छेद 361 का उल्लंघन बताया। अनुच्छेद 361 के अनुसार संवैधानिक पद आसीन व्यक्ति के खिलाफ समन या नोटिस जारी नहीं हो सकता है। विशेष सचिव ने डीएम से इस मामले में जवाब दाखिल कर नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए।
इसके बाद कलेक्टर ने पेशकार को निलंबित कर दिया और सरकार ने एक आदेश जारी कर एसडीएम को सस्पेंड कर दिया।
यह है मामला
बदायूं के ग्राम लोड़ा बहेड़ी के रहने वाले चंद्रहास ने लेखराज, पीडब्ल्यूडी अधिकारी और राज्यपाल को पक्षकार बनाकर वाद दायर किया था। कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक चंद्रहास की चाची ने कटोरी देवी की संपत्ति उनके एक रिश्तेदार नेे अपने नाम करवा ली थी। इसके बाद उसके लेखराज को बेच दिया गया।
कुछ दिन बाद उसी जमीन का कुछ हिस्सा सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। अधिग्रहण के बाद लेखराज को सरकार से 12 लाख की धनराशि मिली। जानकारी पर कटोरी देवी के भतीजे चंद्रहास ने तहसील के न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिका पर एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार की कोर्ट ने राज्यपाल के नाम समन जारी किया था।