ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता का समापन हुआ। यह आयोजन विधि छात्रों को न्यायिक प्रक्रिया का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने और उनके समग्र विकास को प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ। मूट कोर्ट के फाइनल राउंड में न्यायिक प्रक्रिया की गहराई को परखने के लिए जस्टिस तेजस कारिया, दिल्ली हाईकोर्ट, प्रोफेसर डॉ. मनोज सिन्हा, कुलपति, धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जस्टिस पीपी भट्ट, पूर्व न्यायाधीश, प्रोफेसर एरिक्सन और प्रोफेसर कुलमीत , शिकागो कैंट यूनिवर्सिटी ने निर्णायक मंडल के रूप में सहभागिता की। उनके साथ ही विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ सिबाराम खारा, प्रो चांसलर वाईके गुप्ता, एवं पूर्व जिला न्यायाधीश अशोक कुमार भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हेतु उपस्थित रहे। देशभर के 32 प्रतिष्ठित विधि संस्थानों की टीमों ने इस आयोजन में भाग लिया। फाइनल में विजेता टीम ओ.पी. जिंदल यूनिवर्सिटी को 75 हजार रुपये तथा उपविजेता टीम आईआईएलएम यूनिवर्सिटी को 45 हजार रुपये की नकद राशि एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ मूटर्स,सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता एवं सर्वश्रेष्ठ स्मरणपत्र जैसी श्रेणियों में भी विशिष्ट पुरस्कार वितरित किए गए।
विश्वविद्यालय प्रो चांसलर वाई के गुप्ता ने कहा कि मूट कोर्ट केवल एक प्रतियोगिता नहीं बल्कि यह मंच छात्रों की कानूनी विश्लेषण क्षमता, शोध कौशल और प्रस्तुति शैली को निखारने का सशक्त माध्यम है।
मूट कोर्ट प्रतियोगिताएं छात्रों को न्यायिक प्रक्रिया का व्यावहारिक अनुभव देती हैं और यह उन्हें एक कुशल अधिवक्ता बनने की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। ऐसी प्रतियोगिताएं विधि छात्रों में अनुशासन, आत्मविश्वास और तार्किक दृष्टिकोण का विकास करती हैं। न्यायिक प्रक्रिया की समझ, तर्क की स्पष्टता और अभिव्यक्ति की सशक्तता ही किसी अधिवक्ता की सबसे बड़ी पूंजी होती है। यह प्रतियोगिता छात्रों को इन गुणों को विकसित करने का सर्वोत्तम अवसर प्रदान करती है।
शारदा स्कूल ऑफ लॉ के डीन डॉ ऋषिकेश दवे ने कहा कि शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ व्यावहारिक शिक्षा का समन्वय ही विधि विद्यार्थियों को पूर्ण रूप से सक्षम बनाता है। यह प्रतियोगिता छात्रों को न्यायालय की कार्यप्रणाली से प्रत्यक्ष परिचित कराती है। कानून की शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। व्यावहारिक प्रशिक्षण से ही छात्र न्याय प्रणाली के प्रति संवेदनशील एवं जिम्मेदार बनते हैं।
इस दौरान शारदा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राहुल निकम, प्रोफेसर तारकेश मोलिया ,डॉ. अक्सा फातिमा ,डॉ. रजिया चौहान, डॉ. तरुण कौशिक, स्मृति सिंह चौहान सहित कई अन्य संकाय सदस्य एवं विधि छात्रों ने सक्रिय सहभागिता निभाई। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर वैशाली अरोड़ा ने उत्कृष्ट ढंग से किया।