ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रबुद्ध वर्ग को संबोधित किया। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत पूर्व से ही हिंदू राष्ट्र है। स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि हर एक व्यक्ति का जीवन का एक प्रयोजन होता है। इस तरह सभी राष्ट्र का एक प्रयोजन होता है। भारत देश का प्रयोजन अक्षय है। भारत की सनातन परंपरा बंधुत्व की है
उन्होंने कहा कि आज वैश्विक परिदृश्य को देखें तब कई देशों में तनाव है। इस स्थिति में भारत को शक्तिशाली होना दुनिया की आवश्यकता है। पौराणिक भारतीय परंपरा को आज पूरा दुनिया मान रहा है। कोरोना काल में हम लोगों ने देखा कि हमारी दादी जो काढ़ा बनाया करती थी, आज पूरा दुनिया उसे अपना रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को पूरा विश्व तवज्जो दे रहा है। हमारे योग की परंपरा को आज दुनिया के सभी देशों के द्वारा मान्यता दी गई है। हमारा कर्तव्य और स्वभाव ही धर्म है, बंधु भाव ही धर्म है। स्वतंत्रता और समानता को एक साथ स्थापित आसानी से नहीं किया जा सकता है। स्वतंत्रता और समानता बंधु भाव के साथ ही संभव है।
भारत की एकता को ध्यान में रखकर आगे बढ़ाना है
मोहन भागवत ने कहा कि भारत भक्ति अनिवार्य है। आपकी धार्मिक मान्यता कोई भी हो सबसे ऊपर भारत है। भारत की एकता को ध्यान में रखकर आगे बढ़ाना है। हम कटते चले गए यह अब और नहीं होगा। हम भाई हैं, दो भाई हैं, लेकिन एक रहेंगे। हमें क्या करना चाहिए उसे क्या चाहिए वह मानते हैं, लेकिन आपस में भेदभाव या छोटा बड़ा नहीं होना चाहिए। हम बने हैं, हमें बनाया नहीं गया है। हमारा जीवन प्राकृतिक रूप से सदियों से चल रहा है। भारत प्राकृतिक रूप से चारों तरफ से सुरक्षित है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था की पूरी दुनिया के राष्ट्र एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्पन्न हुए हैं। हमारा राष्ट्र सनातन है।
भारत की उन्नति की प्रतीक्षा पूरी दुनिया कर रही
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को भारतीय देहात और ग्रामीण की ताकत से अवगत करा दिया। हमारी दादी और नानी के नुस्खे से बनने वाले काढे ने इस महामारी को हराया है। विदेश वाले आयुर्वेद और योग को जादू टोना समझते थे। अब पूरी दुनिया में योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है। आयुर्वेद की ताकत को दुनिया ने पहचाना है। हमें भी इस ताकत को पहचानना होगा। भारत की उन्नति की प्रतीक्षा पूरी दुनिया कर रही है। इसके लिए भारत को खुद उठकर खड़ा होना होगा।